Science note in Hindi One liner question
Part - 1
► ध्वनि :- ध्वनि तरंगे अनुदैर्ध्य तरंगे (Longitudinal wave) होती है |
→ तरंग 2 प्रकार की होती है-
• यांत्रिक तरंगे (Mechanical waves)
• अयांत्रिक तरंगे (Non-Mechanical waves)
► यांत्रिक तरंगे - यह तरंगे वह होती है जिन्हे संचरण करने के लिए माध्यम की जरूरत होती है |
→ यह 2 प्रकार की होती है -
1) अनुप्रस्थ तरंग (Transverse waves)
2) अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal wave)
→ अब हम समझते है की इनकी Properties मे क्या Diffrence है -
♦ अनुप्रस्थ तरंग (Transverse waves) क्या होती है ?
Suppose करते है कोई तरंग है वह एक माध्यम मे जा रही है तो इस माध्यम मे जो कणो का Movement लंभवत हो रहा है एसी Wave को हम अनुप्रस्थ तरंगे कहेंगे |
► यह ठोसों मे और द्रव की सतह पर संचारित हो सकती है |
► अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal wave) क्या होती है ?
→ Suppose करते है कोई तरंग है वह एक माध्यम मे जा रही है अब इस माध्यम मे जो कण आवृत्ति के समानान्तर Movement कर रहे है तो उसे हम अनुदैर्ध्य तरंग(Longitudinal wave) कहते है |
► अनुदैर्ध्य तरंग (Longitudinal wave) ठोस द्रव गैसों मेउत्पन्न हो सकती है |
► अयांत्रिक तरंगे – इनको संचरण करने के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है |
जैसे – प्रकाश तरंगे रेडियो तरंगे |
► ध्वनि की उत्पत्ति :- वस्तुओ में कम्पन्न से होती है |
► V Imp Point:
• ध्वनि किसी भी माध्यम में गमन कर सकती है |
• लेकिन निर्वात (Vacuum) में गमन नहीं कर सकती है | क्योकि यह यांत्रिक तरंग के अंदर आती है |
► आवृति(frequency) के आधार पर तरंगो को 3 भाग मेंबाटा गया ->
• कोई इंसान वही तरंग को सुन सकता है जिसकी आवृत्ति 20Hz से 20,000 Hz तक होती है |
• इसके अलावा जो 0Hz से 20Hz तक की Wave और 20,000 से ऊपर तक की Wave को भी इंसान नहीं सुन सकते है |
• 20Hz से 20,000 Hz तक की आवृत्ति जिसे मनुष्य सुन सकता है Audible Wave बोला गया है |
► 20,000Hz से उससे ऊपर तक की आवृत्ति को Ultrasonic Wave बोला गया है |
► ध्वनि की चाल - ठोस > द्रव > गैस मे होती है |
► Imp Point :-
• अगर कोई Wave है उस Wave को हम एक Midium से दूसरे Midium मे भेजते है तो उसकी Properties मे क्या-क्या Change आयेगा हम ये समझते है |
• मान लेते है एक माध्यम है और दूसरा माध्यम है पहला वाला ठोस है और दूसरा वाला गैस तो एक माध्यम से दूसरे माध्यम मे Wave जा रही उसकी आवृत्ति मे कोई भी परिवर्तन नहीं होगा |
• आवृति – No Change
• इनकी तरंगदैर्य बदल जाती है |
► ध्वनि की चाल पर भौतिक राशियों (दाब, ताप ) का प्रभाव :-
→ दाब :- सामान ताप पर गेसो में ध्वनि की चाल पर दाब को बढ़ाने पर ध्वनि की चाल मे कोई भी परिवर्तन नहीं होगा |
► ताप :- माध्यम का ताप बढ़ाने पर ध्वनि की चाल भी बढ़ेगी |
► ध्वनि के लक्षण -
1) तीव्रता(Intensity) - ध्वनि तीव्र सुनाई देना
• ध्वनि की तीव्रता मात्रक - डेसीबेल
2) तारत्व(Pitch) - ध्वनि का मोटा या तीक्ष्ण होना |
• तारत्व ध्वनि की आवृति पर निर्भर करता है आवृति ज्यादा मतलब ध्वनि का तारत्व ज्यादा |
► डाप्लर प्रभाव :- श्रोता और स्त्रोत के बिच आपेक्षित गति है तो आवृति बदलती प्रतीत होती है |
► सोनार :- इसका उपयोग समुद्र के भीतर छिपी वस्तुओ का पता लगाने में किया जाता है |
► एनीमोमीटर :- इसका उपयोग वायु की गति मापने में किया जाता है |
► पाइरोमीटर :- उच्च ताप की माप के लिए उपयोग मे लाया जाता है |
► बैरोमीटर:- वायुमंडलीय दाब मापने में इसका उपयोग किया जाता है |
► हाइड्रोमीटर :- इसका उपयोग जल का घनत्व नापने के लिए किया जाता है |
► हाइग्रोमीटर :- हवा की आर्द्रता नापने के लिए इसका उपयोग किया जाता है |
► लेक्टोमीटर - दूध का घनत्व मापने के लिए इसका उपयोग किया जाता है |
► स्टेथोस्कोप : इससे हृदय की धड़कन को सुना जाता है |
► केरेटमीटर : सोने की शुद्धता का पता लगाने में इसका उपयोग किया जाता है
► लक्समीटर : प्रकाश की तीव्रता को मापने में उपयोग मे लाया जाता है
► रडार - रेडिओ तरंगो द्वारा वस्तुओ की स्थिति ज्ञात करना |
► सिस्मोग्राफ - इससे भूकंप की तीव्रता मापी जाती है |
► फेदोमीटर : समुद्र की गहराई मापने में इसका उपयोग किया जाता है |
► पोलीग्राफ़ : झूठ पता लगाने का यंत्र |
► परमाणु संरचना (Atomic Structure) :- 1803 मे डल्टन ने बताया था की अगर कोई पदार्थ है तो वह छोटे-छोटे कणो से मिलकर बना होता है इन्ही कणो को परमाणु (Atom) बोला गया है |
• चलिये इसे अच्छे से समझते है |
► तो ये प्रोटोन, न्यूट्रोन और इलेक्ट्रॉन आपको समझ मे आगया होगा की इनकी position कहा होती है |
• अब Question ये पूछा जाता है की प्रोटोन, न्यूट्रोन, और इलेक्ट्रॉन का आविष्कार किसने किया | तो इसे हम ट्रिक से याद करेंगे |
• खोज – टॉमसन
• चार्ज -ve (Negetive Charge)
• स्थाई (stable) कण है
• खोज – रदरफोर्ड
• चार्ज +ve
• स्थाई (stable) कण है
• खोज – चैडविक
• कोई चार्ज नहीं होता
• अस्थाई (unstable) कण है |
► न्यूट्रोन का सबसे ज्यादा उपयोग नाभिकीय विखंडन मे किया जाता है इससे नाभिकीय ऊर्जा को विघुत ऊर्जा मे परिवर्तित किया जाता है |
► नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission) : यूरेनियम – 235 का एक नाभिक है जब इसके ऊपर न्यूट्रोन की बोछार की जाती है तो ये नाभिक दो भागो मे बट जाता है और साथ मे 3 न्यूट्रोन Generate हो जाते है और बहुत अधिक मात्रा मे ऊर्जा निकलती है तो ये जो प्रक्रिया होती है यह नाभिकीय विखंडन कहलाती है |
► अब जो निकले हुए न्यूट्रोन है वो टूटे हुए नाभिक 2 उनसे वापस टकराते है और उनको फिर से Divide कर देते है ये प्रक्रिया जब तक खत्म नहीं होती जब तक नाभिक का अस्तित्व खत्म ना हो जाए | अब जो 3 न्यूट्रोन Generate हुए है इनकी गति बहुत ही तेज़ होती है, इसलिए इस गति को Controll करा जाता है और कभी कभी इस गति को Controll नहीं करा जाता है |
► अब Suppose करते है की 3 प्रोटोन Generate हुए नाभिकीय विखंडन की Proccess के द्वारा अब इनमे से 2 न्यूट्रोन को आवेशित कर लिया मतलब दो न्यूट्रोन को खींच लिया और शांत कर दिया इसे मंदक (Moderator) के द्वारा शांत किया जाता है इस प्रक्रिया को ‘’नियंत्रित शृंखला अभिक्रिया'' बोला जाता है और यही Concept परमाणु रिएक्टर मे भी उपयोग होता है |
► परमाणु रिएक्टर :-
• एक ऐसी यूनिट है जिस में U -235 का Controlled Fission कराते है |
• नाभिकीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन किया जाता है |
• इसमें ईंधन के रूप में यूरेनियम,थोरियम, प्लूटोनियम का उपयोग किया जा रहा है |
• मंदक (Moderator) - केडमियम और बोरान की छड़ D2O (भारी जल) और ग्रेफाइट |
► परमाणु बम (Atom Bomb) :
• नाभिकीय विखंडन पे आधारित है |
• बम बनाने में U - 235 और U -239 का प्रयोग किया जाता है |
• पहला परमाणु बम ओपन हिमर ने बनाया था |
► नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) :
इस Proccess मे दो या दो से अधिक नाभिक मिलकर एक बड़ा नाभिक बना देते है और साथ मे बहुत अधिक मात्रा मे ऊर्जा निकलती है इस proccess को हम नाभिकीय संलयन कहते है | नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया पृथ्वी पर संभव नहीं है क्यूकी इसके लिए temprature बहोत अधिक चाहिए रहता है तो ये प्रक्रिया वहाँ होती है जहां पर अधिक ताप और दाब है तो ये प्रक्रिया होती है सूर्य पर |
H + H → He + न्यूट्रॉन + ऊर्जा
• सूर्य पर नाभिकीय संलयन प्रक्रिया
• तारो का प्रकाश
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